Saturday, December 10, 2022

156 # मेरी मात हुई

अनोखी एक वारदात हुई
बरसों बाद उनसे बात हुई
पुरानी चाय की टपरी पर
मेहरबा आज काएनात हुई
उनसे फिर पहली बार सी
इत्तफाकन मुलाकात हुई
आंखों आंखों हुई कई बातें
लबसे ना ज़िक्रे हालात हुई
चाह कर भी ना पुछ सका
दुरी क्यों अपने दरमेयात हुई
चाह थी चंद उजालों की
जाने क्यों राह में रात हुई
लगाई थी बाजी दिल पर
शायद तभी मेरी मात हुई...  

Tuesday, November 8, 2022

154# माँ...


मेरी बात आज फिर तुम रखोगी ना माँ 
अपनी छाँव में सदा मुझे रखोगी ना माँ  

कल उंगलियाँ थाम चलना सिखाया था
आज सर पे हाथ रख राह दिखाओगी ना माँ

ओझल आंखों से हो, जिंदगी से ना होना 
इतनी सी बात तो मेरी मानोगी ना माँ

इस पार मैं जैसे तेरी यादों को जी रही हूं 
उस पार तुम भी मुझे याद रखती हो ना मां

मेरे दिल की हर अनकही समझ जाती हो 
तुम बिन कितनी 'तन्हा' हू जानती हो ना माँ 

जानती हूं तुम्हें रोकना अब मेरे बस में नहीं 
पर जब भी याद करें पास आओगी ना माँ ... 💞

Sunday, November 6, 2022

153# वो ज़माने याद आए... (poem )

आज उनसे हुई जो मुलाकात 
जाने कितने फसाने याद आए 
वो यू मुस्कुरा कर मिले
जीने के सारे बहाने याद आए 

बजी साईकिल की घंटियां 
जवानी के सारे इशारे याद आए 
कॉफी के सिप पर 
कितने किस्से पुराने याद आए 

देहलीज़ से लौट गई जो 
वो मौसम बहारे याद आए 
शर्मा के पलके झुकाई तो
बदलते सारे जमाने याद आए 

दिल का शैलाब आंखों तक आकर माना
जो सारे घाव पुरानी याद आए 
बस इतनी सी ही तो कभी चाहत थी 
हम भी उन्हें किसी बहाने याद आए

तन्हा आज तन्हा ही खुश है
जो बेहाल जहाँ के सारे दीवाने याद आए
मुस्कुरा कर लौटे उनके कूचे से आज 
जो टूटे दिलों के जमाने याद आए  ....  

Saturday, November 5, 2022

152# धीरे धीरे...

जैसे घुलती शाम रात में धीरे-धीरे
तुम घुल जाओ मेरे बात में धीरे-धीरे

बुनने लगा दिल एक हसीन ख़्वाब
घुला इश्क़ जो मुलाकात में धीरे-धीरे

तेरा रखना कदम दिल आंगन में
छाती लालिमा प्रभात में धीरे-धीरे

आप से तुम तक का सफर 
तय कर लेंगे साथ में धीरे-धीरे

जाने कब बन गए तुम हमसफर 
इस 'तनहा' ए हयात में धीरे-धीरे



Friday, November 4, 2022

151# मैं, मैं को खोजती हू ...

कभी बातों में कभी यादों में कभी तस्वीरों में
मैं, मैं को खोजती हूं -
वो मुस्कुराती आंखें वह खिलखिलाते लब
वो चेहरे का नूर खोजती हू
मैं, मैं को खोजती हूं |
वो पहला पहला प्यार वो इश्क़ की तकरार
लड़कपन के सपनों को खोजती हूं
मैं, मैं को खोजती हूं |
वो कर्ज वो फर्ज वो जिम्मेदारियों में
मैं, मैं को खोजती हूं -
कभी इन्तेज़र में कभी इंतिहान में
कभी इकरार में खोजती हूं 
मैं, मैं को खोजती हूं |
जाने कहां खो गया जाने कब बिछड़ गया
उसे बरसों से खोजती हू
मैं, मैं को खोजती हूं |

155#

ऐ दिल न जाने क्यों तू चटख़ता भी बहुत है
क्या शीशे सा टूटना तुझे भाता भी बहुत है

दामन भी ज़रा बचा के चलना सीख
के तू दामन अश्क में भिगोता भी बहुत है

हर कोई नहीं होता कबिल दिल लगाने के 
फिर तू हर किसी से दिल लगाता भी बहुत है

कल तक उनके लिए सारा खेल ही था नजरों का
शायद तभी आज वो नज़र चुराता भी बहुत है 

Thursday, October 27, 2022

150# तो क्या करोगे...

सोचा था दर्द ए दिल की दवा करोगे
न सोचा था, दर्द ए दिल में इजाफा करोगे

सारे शिकवे शिकायते दिल से है
जो दिल ही ना रहा, तो क्या करोगे ?

कौन जाने, कल, कौन किस बात पर पछताएगा
पछतावे को जब वक़्त ना मिला, तो क्या करोगे ?

दो पल की जिंदगी, नादान दिल, कितना बैर रखोगे ?
इतना भार जो संभला ना दिल से, तो क्या करोगे ?

तुम हिसाब रखो ना रखो, जब वो हिसाब लेगा 
किसको हँसाया किसको रुलाया, तो क्या करोगे ?




Sunday, October 23, 2022

149# एक दिया उनके नाम का भी ...

जलाए है हमने भी दिप
एक उनके नाम जो अपने है
एक उनके जो कल तक अपने थे
एक उनके नाम का भी जलाया हमने
जो कभी अपने घर को न लोटे
एक उनके नाम का भी है
जिनका लोटने का बेसबरी से इंतेज़ार है
उस खुशी के नाम भी है जो रूठ गई
उस खुशी के नाम भी है जो आने वाली है
उस भरोसे के नाम जो टूट गया
उस उम्मीद के नाम से छूट गया
उस दोस्त के नाम जो रूठ गया
उस वक्त के नाम से रुक गया
जलाए है हमने भी दिप
एक नई सुबह एक नई सफर के नाम
एक नई आगाज़ एक नई परवाज़ के नाम... #mg 

148# दिवाली की सफाई ...

हो गई अपनी दिवाली की सफाई... 
कई शब्द मिले
कुछ बेफिजूल से थे उन्हें जाने दिया
कुछ फिर इस्तेमाल करने को रख दिया
कुछ अधूरी कहानियां मिली
डायरी के पन्नों में संभाल के रखे कुछ निशानियां मिली
कुछ यादों को मुस्कुराकर जिया
कुछ यादों को अश्कों में बह जाने दिया
कई उलझे रिश्ते मिले
फुर्सत में उन्हें सुलझाने को एक तरफ रख दिया
कुछ रिश्ते टूटे भी मिले
अफ़सोस तो हुआ पर उन्हें इस दिवाली जाने दिया
कुछ पुरानी तस्वीरें मिली,  मेरी 
खिलखिलाती मुस्कुराती खुशबु बिखेरती
जो तस्वीरों के मैं से मिली 
तो दर्पण के मैं को जाने दिया 
दिल के लगभग सभी खानों को साफ किया
वक़्त के धूल तले दबी बस एक हिस्से को जाने दिया
वो फिर किसी दिवाली सही  ... #mg 

Saturday, October 22, 2022

147# मैं वही रुकी थी...

जिस दहलीज पर तू छोड़ गया था
तेरे जाने के बाद भी मैं वही रुकी थी
दो कदम चलके तू पलटा था
शायद मुझे आखरी बार निहारा था
उसके बाद भी मैं वही रुकी थी
जब सारा जहां निस्तब्ध था 
और सिर्फ टिक टिक करती घड़ी की सूईया
मेरे धड़कनो के साथ ताल मिला रहीं थी 
मैं वही रुकी थी 
सारी रात साथ देकर शम्मा ने
जब आखिरी सांस भरी थी
मैं वही रुकी थी
जब भोर ने दस्तक दी 
और रूह ने जिस्म को कह दिया अलविदा 
तब भी मैं वही रुकी थी
जिस्म जलकर खाक हुआ
साथ तेरे लौट के आने की वजह भी 
पर एक बारी आकर तो देख जाता
जिस देहलीज़ पर तू छोड़ गया था
तब से मैं वही रुकी थी... 💞

Thursday, October 13, 2022

146# कार्वाचौत

बहुत कुछ तो नहीं बस
तेरे रंग में खुदको रंगना चाहती हू
तेरे प्यार की धानी चुनर औड़
विश्वास की हरी चुरिया
कलाईओ में खानके चाहती हू
मेरे माथे की बिंदी पर तेरा बोसा
मेरे सिंदूर पर तेरा हाथ फेरता हुआ
आशीष चाहती हू
मेरा मान अभिमान साज़ सिंगार तुझी से है
हर करवाचौथ में तुझे यह मैं बताना चाहती हूं
तेरी कदमों में नहीं तेरे दिल में
एक छोटा सा आशिया चाहती हूं
है चाँद वो जब तक आसमान में
तब तक तुझें सलामत चाहती हूं
बन के रहू छाया तेरी
हर धूप से कर सकू तेरी रक्षा वो ताकत चाहती हूं
मैं सुहागन हू तेरी 
सातों जन्म तुझे ही अपना सुहाग चाहती हूं...  #mg 🌹

Wednesday, October 12, 2022

145# तुम भूल गए...

नाजुक शाखों पर दाव लगाया
मजबूत जड़ो को भूल गए
कुछ कागज़ के फूलों की चाह में
आस्मा भरी तारों को भूल गए
सबकी मनकी करते करते
अपनी मुस्कान जाने कहा रख भूल गए
फिर जी हुजूरी में इतना डूबे
अपनी उड़न की भी ताकत भूल गए
वक़्त वक़्त की बात है
गैरों की महफ़िल भाइ तो आपनो को भूल गए
चार दिन की चांदनी में यू खोए
के फिर अँधेरी रात है तुम भूल गए... #mg 

144# मुझे है पसंद ...

ये रात मुझे है पसंद, तेरे बाहों में बीतती हुई
ये दिन भी मुझे है पसंद, तेरी यादों से खेलती हुई
मुझे तेरी धड़कनों का शोर भी है पसंद
मुझे तेरी आंखों की खामोशियां भी है पसंद
मुझे पसंद है बरखा भी जो, भिगोती है मुझे तेरे प्यार में
मुझे पसंद है धूप भी जो, झुलाती है मुझे तेरे बाहों की छांव में
मुझे तेरी फूलों सी मुस्कान भी है पसंद
मुझे तेरी शहद सी बोली भी है पसंद
तुझें मैं मना सकू, तेरी नाराज़गी भी पसंद है मुझे
तेरे लिए तरस जाऊ, तेरा इंतेज़ार भी पसंद है मुझे
मुझें देख तेरा मुस्कुरा के आहे भरना मुझे है पसंद
मेरी सलामती पर तेरे सांसो में सांस आना मुझे है पसंद ... #mg 



Sunday, October 9, 2022

143# न जाने क्यों

न जाने क्यों
अब उनसे पहले सी बात नहीं होती
कल महफिलों में आँखों आँखों होते थे इशारे
आज तन्हाइयों में भी वो शरारतें नहीं होती
कल बेबाग उनके कमरे में घूस जाते थे
आज उनके माकन तक में रखने को कदम हिम्मत नहीं होती
वो जो कभी मांगते थे हर आंसू का हिसाब हमसे
आज दो पल हमारे संग मुस्कुराने की उन्हें फुर्सत नहीं होती
उनके वो इशारे वो शरारतें है आज भी पहले से
बस अब उनकी नज़र ए करम हम पर नहीं होती
खत का मजमून बेशक आज भी वही है
बस नाम लिफाफे पर अब हमारी नहीं होती
कल तक जो दिल पलकों पर था अब ठोकरों पर है
अब हमारे दिल ए हाल पर उनकी तवज्जो नहीं होती
हमसे ना पूछो अब उनके दिल का पता
अब उनकी गलियों में हमारी गुजर बसर नहीं होती... #mg



Saturday, October 8, 2022

142# दाव दिल का...

है अंजाम से हम वाकिफ
फिर भी दांव लगाने का जिगर रखते हैं
के हर खेल जीत के लिए नहीं
कुछ हारने के लिए भी खेले जाते हैं
जानते हैं, मेरा दिल मेरे जज़्बात
सब तुम्हारे लिए है सिर्फ एक खेल है
फिर भी दिल के हाथों मजबूर है हम
जो हारी बाजी पर ही दाव लगाए जाते हैं
बहुत दिल को संभाल कर देखा
जो कभी गिरे तो टूटकर बिखरकर भी देखा
तो जाना, कुछ झीलों में सिर्फ
डूबने के लिए ही उतरे जाते हैं... #mg 🌹

141# बचपना

तुमसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं
जाने कितनी बार है ये गाया
पर अब समझी हू
तुझसे नहीं पर तेरी बचकानी हरकतों से
आज जब खुद परेशान हू -
तुझें क्या पता कैसे-कैसे कहां-कहां
तुझे कवर देती हूं
जिन फूलों की रह पर तू चाहता है
उसके कांटे भी अक्सर मैं चुनती हू -
तेरी हरकतों पर
कभी गुस्सा भी आता है कभी हंसी भी
शायद लोग सही कहते हैं
कि पुरुष रहता है दिलसे सदा एक बच्चा ही
बस इस बचपने में
मुझसे कही तेरा दिल न टूटे जाए
इसी एक ख्याल ने, तेरे साथ बचपना करने की
दिल को कभी इजाजत न दी ...  #mg 🌹

Friday, October 7, 2022

140# ये जरुरी तो नहीं

हर बात का तन कर जवाब देना
दिलों को लफ्जों से घायल करना, ये जरूरी तो नहीं
कभी कभी किसी तर्क में सिर्फ मुस्कुरा कर देखो
हर तर्क शब्द से ही जीतना हो, ये जरूरी तो नहीं -
जीवन के है रंग कई हजार
इसके भी मौसम बदलते हैं बार-बार
हां, मैं चाहती हूं हर रंग में हर मौसम में तुम मेरे साथ रहो
पर हर बात तुम ही से शुरू होकर तुम ही पर खत्म हो,
ये जरुरी तो नहीं -
कभी मन की खिड़कियों को खोल कर देखो
मुक्त होकर उड़न भरने को, है विशाल आस्मा 
पर आसमान पर आशियाना भी हो, ये ज़िद न करो 
के देगा आस्मा इजाज़त इसकी, ये जरूरी तो नहीं -
है अगर हौसला तुममें तो तकदीर से लड़ कर देखो
है अगर यकीन खुदपर तो आसमान की बुलंदियों छू कर देखो 
अगर ना भी कुछ कर सके, तो कोई गम न करना
के तारा, तारा ही होता है पर हर तारा द्रव हो,
ये जरूरी तो नहीं ... #mg 💕

Thursday, October 6, 2022

139 #मैं खामोश रहना चाहती हू

एक बात कहु तो यकीन करोगे ?
मुझे खामोशी पसंद है
तुम सोच रहे होंगे फिर बातें क्यों इतना करती हू
कुछ सवाल है मैं जानती हूं
तुम चाहते हो मुझसे करना
बस अपने बातों से उन सवालों का मुँह मोड़ती हू
ऐसा नहीं कि उन सवालों का
जवाब नहीं मेरे पास
बस उन सवालों का जवाब देना नहीं चाहती हू
अस्थाई जीवन में, यहाँ क्या है अपना
जो कुछ आज है 
शायद कल बन के रह जाए सिर्फ एक सपना
बस कुछ यादों वादों ज़ख्मो निशानियां को 
अपने दिल में
सिर्फ अपने लिए रखना चाहती हूं
ये दर्द मेरे जीवित होने के प्रमाण हैं
ये मेरे हर अच्छे बुरे के साक्ष्य हैं
मैं इन दर्द का कोई मरहम नहीं चाहती हूं
जानती हूं तुम सुन सकते हो हर शोर मेरी खामोशियों का 
शायद तभी 
तुम्हरे सीने पर रखकर सर मैं खामोश रहना चाहती हूं ... #mg 🌹

138. कोई फर्क नहीं पड़ता

कोरे कागज पर
दर्द
चाहो तो तुम उतार लो
टूटे दिल का
साज़
चाहो फिर छेड़ लो
अब फर्क नहीं पड़ता
तुम्हारे इंतजार में थी
जो आँखे
अब बंद हो चुकी हैं
तुम्हारे नाम की थी
जो सांसे
अब खर्च हो चुके हैं
अब फर्क नहीं पड़ता
की किए आँखे नम
बैठे हो तुम
मेरे पहलू में
के 'तन्हा' अब खुश है
अपने अनंत
खामोशी में... #mg 💞