जाने कितनी बार है ये गाया
पर अब समझी हू
तुझसे नहीं पर तेरी बचकानी हरकतों से
आज जब खुद परेशान हू -
तुझें क्या पता कैसे-कैसे कहां-कहां
तुझे कवर देती हूं
जिन फूलों की रह पर तू चाहता है
उसके कांटे भी अक्सर मैं चुनती हू -
तेरी हरकतों पर
कभी गुस्सा भी आता है कभी हंसी भी
शायद लोग सही कहते हैं
कि पुरुष रहता है दिलसे सदा एक बच्चा ही
बस इस बचपने में
मुझसे कही तेरा दिल न टूटे जाए
इसी एक ख्याल ने, तेरे साथ बचपना करने की
दिल को कभी इजाजत न दी ... #mg 🌹
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