Thursday, October 13, 2022

146# कार्वाचौत

बहुत कुछ तो नहीं बस
तेरे रंग में खुदको रंगना चाहती हू
तेरे प्यार की धानी चुनर औड़
विश्वास की हरी चुरिया
कलाईओ में खानके चाहती हू
मेरे माथे की बिंदी पर तेरा बोसा
मेरे सिंदूर पर तेरा हाथ फेरता हुआ
आशीष चाहती हू
मेरा मान अभिमान साज़ सिंगार तुझी से है
हर करवाचौथ में तुझे यह मैं बताना चाहती हूं
तेरी कदमों में नहीं तेरे दिल में
एक छोटा सा आशिया चाहती हूं
है चाँद वो जब तक आसमान में
तब तक तुझें सलामत चाहती हूं
बन के रहू छाया तेरी
हर धूप से कर सकू तेरी रक्षा वो ताकत चाहती हूं
मैं सुहागन हू तेरी 
सातों जन्म तुझे ही अपना सुहाग चाहती हूं...  #mg 🌹

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