Tuesday, November 8, 2022

154# माँ...


मेरी बात आज फिर तुम रखोगी ना माँ 
अपनी छाँव में सदा मुझे रखोगी ना माँ  

कल उंगलियाँ थाम चलना सिखाया था
आज सर पे हाथ रख राह दिखाओगी ना माँ

ओझल आंखों से हो, जिंदगी से ना होना 
इतनी सी बात तो मेरी मानोगी ना माँ

इस पार मैं जैसे तेरी यादों को जी रही हूं 
उस पार तुम भी मुझे याद रखती हो ना मां

मेरे दिल की हर अनकही समझ जाती हो 
तुम बिन कितनी 'तन्हा' हू जानती हो ना माँ 

जानती हूं तुम्हें रोकना अब मेरे बस में नहीं 
पर जब भी याद करें पास आओगी ना माँ ... 💞

No comments:

Post a Comment