Sunday, November 6, 2022

153# वो ज़माने याद आए... (poem )

आज उनसे हुई जो मुलाकात 
जाने कितने फसाने याद आए 
वो यू मुस्कुरा कर मिले
जीने के सारे बहाने याद आए 

बजी साईकिल की घंटियां 
जवानी के सारे इशारे याद आए 
कॉफी के सिप पर 
कितने किस्से पुराने याद आए 

देहलीज़ से लौट गई जो 
वो मौसम बहारे याद आए 
शर्मा के पलके झुकाई तो
बदलते सारे जमाने याद आए 

दिल का शैलाब आंखों तक आकर माना
जो सारे घाव पुरानी याद आए 
बस इतनी सी ही तो कभी चाहत थी 
हम भी उन्हें किसी बहाने याद आए

तन्हा आज तन्हा ही खुश है
जो बेहाल जहाँ के सारे दीवाने याद आए
मुस्कुरा कर लौटे उनके कूचे से आज 
जो टूटे दिलों के जमाने याद आए  ....  

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