बरसों बाद उनसे बात हुई
पुरानी चाय की टपरी पर
मेहरबा आज काएनात हुई
उनसे फिर पहली बार सी
इत्तफाकन मुलाकात हुई
आंखों आंखों हुई कई बातें
लबसे ना ज़िक्रे हालात हुई
चाह कर भी ना पुछ सका
दुरी क्यों अपने दरमेयात हुई
चाह थी चंद उजालों की
जाने क्यों राह में रात हुई
लगाई थी बाजी दिल पर
शायद तभी मेरी मात हुई...
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