Saturday, November 5, 2022

152# धीरे धीरे...

जैसे घुलती शाम रात में धीरे-धीरे
तुम घुल जाओ मेरे बात में धीरे-धीरे

बुनने लगा दिल एक हसीन ख़्वाब
घुला इश्क़ जो मुलाकात में धीरे-धीरे

तेरा रखना कदम दिल आंगन में
छाती लालिमा प्रभात में धीरे-धीरे

आप से तुम तक का सफर 
तय कर लेंगे साथ में धीरे-धीरे

जाने कब बन गए तुम हमसफर 
इस 'तनहा' ए हयात में धीरे-धीरे



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