Thursday, December 6, 2018

13 # मैं कोई कवि नहीं ...

मैं कोई कवि नहीं कोई शायर नहीं
बस कुछ तुकबंदी कर लेती हूं
जो खयाल मोतियों से यहाँ वहाँ बिखरे पड़े हैं
कभी कभी उन्हें साथ पिरो लेती हूं ...

कुछ अनकही बातें
पिंजरों में बंद पंछियों से जब फरफराते है
शब्दों के पर देके उन्हें
कभी कभी मुक्त गगन में उड़ा देते हूं ...

मिल जाते है यादें पुराने
जब कभी किसी मोड़ पर
दो पल उनके साथ गुजार
कभी कभी यादों को जगा लेती हूं ...


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