Friday, December 7, 2018

16 # ख़त

एक कोरे कागज पर कुछ लिखकर
थमा गया था वो
आज तक सम्भाले रखा है
वक्त के पन्नों में दबाके रखा है

सिलवाते मिटसी गई है
सिहाई भी धुमिल सी है
पर हमने तो हर लफ्ज़
दिल में दोहरा रखा है

कही सिहाई गेहरी थी
कही थोड़ा हाथ शायद काँपा था
कही अशुओ ने
कुछ शब्दों को मिटा रखा है

आज लग गया वो खत
जाने कैसे उनके हाथों में
आँखों में नमी लेके बोले
तुमने आज तक मेरा खत संभाले रखा है

मुस्कुराते सिमटी उनके बाहों में
कैसे न दिल से लगा के रखती
मैं उनके हर यादों को
जिन्होंने हमे अपने पलको पे रखा है ...

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