जागते रहे हम रात भर
न जाने किसकी आह लग गई है
हमारे निंद पर
बिस्तर करवटों से परेशान
चादर सिलवटों से
कल तक दीवारे भी बोलती थी
आज हम है खामोश दीवारों से
मुरझाया देख हमको
तारों से भी न जगमगाया गया
बादल भी गमगीन हुए
चाँद से भी न खीला गया ...
#uhi
न जाने किसकी आह लग गई है
हमारे निंद पर
बिस्तर करवटों से परेशान
चादर सिलवटों से
कल तक दीवारे भी बोलती थी
आज हम है खामोश दीवारों से
मुरझाया देख हमको
तारों से भी न जगमगाया गया
बादल भी गमगीन हुए
चाँद से भी न खीला गया ...
#uhi
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