जब महफ़िल में ढूंढते है
उनकी बैचेन आँखे हमें
नूर हमारे चेहरे का
और बढ़ जाता है ...
जब जगती है वो आँखे
खामोशी से फिक्र में हमारे
काजल हमारे आँखों को
और गेहरा जाता है ...
जब उनकी हर बात
इशारा करती है हमारी ओर
बेबाक हमारे होटो पे
मुस्कान आ जाती है ...
उनकी बैचेन आँखे हमें
नूर हमारे चेहरे का
और बढ़ जाता है ...
जब जगती है वो आँखे
खामोशी से फिक्र में हमारे
काजल हमारे आँखों को
और गेहरा जाता है ...
जब उनकी हर बात
इशारा करती है हमारी ओर
बेबाक हमारे होटो पे
मुस्कान आ जाती है ...
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