Saturday, December 29, 2018

28 # सोच

राहे ज़िंदगी में हुए हैं हासिल
कई रिश्ते बेनाम से
तब जाकर जाना ठोकर लगती है
सिर्फ रिस्तो के नाम से ...
न आपना न पराया
रिस्तो में न बाट हो
सुख दुख के हम सब साथी
बस यही साठ हो
मंदिर मस्जिद आपनी जगह
धर्म इंसान से ऊपर न हो
कद,औकाद भले छोटी ही सही
पर सोच आपनी छोटी न हो ...

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