देहलीज पे खड़े है हम
बस एक कदम उठाने भर की देरी
फिर बोहोत कुछ पीछे छूट जाएगा
न जने क्या क्या टूट जाएगा
कुछ अधूरी कहानी
कुछ यादें सुहानी
कुछ साथ भी
दरों दीवारों में रहेंगी जिनकी अब याद ही
बस एक आखरी बार
पलको को मीचे
लौट गए हम वक़्त के ताने बाने राहो पर
सबसे मिलना मिलाना हुआ
कुछ लम्हें लबो पे मुस्कुराये
कुछ पल मोतियों से आँखों से झलक भी गए
हम सबको अलविदा कर
फिर देहलीज पे लोट भी गए
कुछ यादें कुछ साथ और जो जो समेट सके
लेके हम आज देहलीज पार हुए
और जो कुछ पीछे छुटा
सब गुजारते वक़्त को सौप दिए
जानते है अब लौटना न होगा
पर यही जीवन है
आज एक देहलीज और पार हुए
फिर कुछ किस्से नए बुनने
फिर कुछ उम्मीदें नए चुनने ...
बस एक कदम उठाने भर की देरी
फिर बोहोत कुछ पीछे छूट जाएगा
न जने क्या क्या टूट जाएगा
कुछ अधूरी कहानी
कुछ यादें सुहानी
कुछ साथ भी
दरों दीवारों में रहेंगी जिनकी अब याद ही
बस एक आखरी बार
पलको को मीचे
लौट गए हम वक़्त के ताने बाने राहो पर
सबसे मिलना मिलाना हुआ
कुछ लम्हें लबो पे मुस्कुराये
कुछ पल मोतियों से आँखों से झलक भी गए
हम सबको अलविदा कर
फिर देहलीज पे लोट भी गए
कुछ यादें कुछ साथ और जो जो समेट सके
लेके हम आज देहलीज पार हुए
और जो कुछ पीछे छुटा
सब गुजारते वक़्त को सौप दिए
जानते है अब लौटना न होगा
पर यही जीवन है
आज एक देहलीज और पार हुए
फिर कुछ किस्से नए बुनने
फिर कुछ उम्मीदें नए चुनने ...