दिनबदिन हमारी कॉफ़ी में दूध की मिठास कुछ कम होती जा रही हैं और कॉफ़ी का कड़वापन कुछ बढ़ता ही जा रहा है शायद ज़िन्दगी अपनी पहचान खुद हमसे करा रही हैं और परियो की कहानियां कही पीछे छूटती जा रहीं हैं ...
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