Sunday, March 29, 2020

78# सबको अलविदा बोल आई हूं ...

तुम्हारे यादों को गिरवी रखकर
रात से फिर एक सुबह ले आई हूं
अश्कों को रख कर परे
मुस्कुराने की एक वजह ले आई हूं
आँखों की मस्ती होठों की शरारत
नादान सा दिल मासूम जज्बात
तुम्हारे खेलने के लिए
सब खिलौने ले आई हूं
बस अब तुम भी आ जाओ
तोड़ के वक़्त के सरहदों को
या फिर हमें पास बुलालो
के सबको अलविदा बोल आई हूं  ...

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