भटकता है ये दिल यादों की गलियों में आवारा सा
कभी रात कभी चाँद तन्हाई में बना सहारा सा
लाखों की भीड़ में जाने ये दिल रहा क्यों तन्हा सा
रेगिस्तान की मारीचिका में जैसे कोई खोजता किनारा सा ... 💞
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