Monday, February 24, 2020

73# Delhi Burning (25 feb 2020)

ज़िन्दगी गुज़र जाती हैं
तिनका तिनका जोड़ कर
सपनों के घरोंदे बनाने में
कुछ शियसतदान और तमाशबीन

लगे रहते हैं रात दिन

उन्हीं सपनों को तोड़ने में

(वक़्त भी नहीं लगाते

उन सपनों को तोड़ने में )

उठा लेते है हाथों में पत्थर कट्टा
क्या रूह नहीं काँपती इसकी
आपने ही देश को तोड़ने में
दुश्मन हो तो लड़ भी ले सरहद पर
अन्दर बैठे गद्दारों का क्या करे
जो भूल गए रक्त कितने बहे बलिदानों में ...

#DelhiBurning

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