Saturday, April 4, 2020

88# part B ...

अपने साथ ले जाता है 
कितनी उम्मीदें 
सूरज क्या जाने
आँसुओ में डूबे
चाँद से पूछो
हैं कितने सिरहाने

ये दिन का उजाला 
क्या समझेगा 
मुस्कुराने की मजबुरी
रात से सुनो कभी
सिसकियो को कहनी
जीवन की दास्तूरी

दिल को चीरती
रूह को भेदती
चारी ओर ये कैसा शोर है
दर्द के चौखट पे
आज शब्द भी मोन 
जुबान भी खामोश हैं ...




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