इश्क़ ने साथ न दिया तो क्या
हमने तन्हाइयों से दोस्ती कर ली
जिन्हें इंतज़ार है चांदनी की रहे
हमने चाँद से नहीं रात से दोस्ती कर ली
सब वक़्त वक़्त की बात है
तो हमने वक़्त से ही हिस्सेदारी कर ली
देके उसे ख़्वाबो का शोर
सुकून की नींद आपने नाम कर ली
हाँ कुछ शिकवे भी है शिकायते भी
कुछ ज़ख़्म है खुले हुए भी
पर हाले दिल किसके कहते क्या कहते
तो कोरे कागजों से दोस्ती कर ली ... 💞
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