Saturday, January 19, 2019

40 # यादों के परिंदे

सूरज ने थक के
कंधों पे रख दिया सर
शितिज के
रोशनी भी ओड़ चुकी
चादर रात की
चाँद आसमां के आगोश में
खोया खोया सा है
अश्क़ के शिशिर में
रात भी धूला धुला सा है
जुबा है खामोश
धड़कने बोल रही है
यादों के परिंदे
घोसलों में आपने
लौट रही है




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