Friday, January 4, 2019

31 # आधा आधा

वादा था आपका खुसी हो या गम
सब मिल बाट लेंगे हम
पर ये बटवारा न जाने कैसा हुआ
सागर आपके हिस्से आई और जमी के हुए हम

जब रात हुई हमारी दिन आपका हुआ
जब दिन हुआ हमारा रात आपकी हुई
दोनों के हिस्से आधी आधी
दोनों के हिस्से बरी बरी

सूरज आपको जलाए तो चाँद हमे रुलाये
जब सूरज हमे जगाये तो चान्दनी आपको सुलाए
न आपके हिस्से पूरी खुशी आई
न हमारे हिस्से पूरा गम
ऐसे हुआ बटवारा सब
न सांस आई और ना ही निकला दम ...

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