Saturday, January 12, 2019

34 # गीले सिरहाने ...

गीले सिरहाने गवाह है
आँखों आँखों में
फिर कटी कोई रात है
यादों का कोई दराज़
शायद रह गया था अध्द खुला
बीते वक़्त की खुशबु
शायद फ़िज़ाओं में था घुला
जाग गए होंगे कुछ जख्म
नींद ने भी न रखा होगा भरम
दिल के पैबन्द पर
चाँद ने रात भर टाट लगाए होंगे
थक के चूर इसी बीच
कुछ अश्को ने दम तोड़े होंगे ...





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