कोन हु मैं -
किताबों में सहेज कर रखी गई मैं तुमारा वो गुलाब का फूल नहीं
मैं तो वो अधूरी कविता हु तुम्हारी जिसे कभी तुमने पूरा किया ही नहीं ...
कौन हूं मैं
मैं वो आशु नही जो बह के तुम्हारे आखो से गालों पे सुख गई है
मैं तो वो चुप्पी हु जो तुम्हारे लबो तक आके ठहर गई है ...
किताबों में सहेज कर रखी गई मैं तुमारा वो गुलाब का फूल नहीं
मैं तो वो अधूरी कविता हु तुम्हारी जिसे कभी तुमने पूरा किया ही नहीं ...
कौन हूं मैं
मैं वो आशु नही जो बह के तुम्हारे आखो से गालों पे सुख गई है
मैं तो वो चुप्पी हु जो तुम्हारे लबो तक आके ठहर गई है ...
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