वक़्त के पन्नों में मैं दिवानी
जाने क्या क्या लिखती हूँ
कभी थोड़ा ज्यादा
कभी थोड़ा कम लिखती हूँ -
कभी खुशियों का पता
कभी दिल में उठते सवाल लिखती हूँ
जब हो जाए दिल भारी
तो गमे बेहाल भी लिखती हूँ -
कभी मौत को मेहबूब
तो कभी ज़िन्दगी को सफर लिखती हूँ
वो जमाने गए कागज़ कलम दवात के
अब अश्कों से दिल के दीवारों पे लिखती हूँ ...
जाने क्या क्या लिखती हूँ
कभी थोड़ा ज्यादा
कभी थोड़ा कम लिखती हूँ -
कभी खुशियों का पता
कभी दिल में उठते सवाल लिखती हूँ
जब हो जाए दिल भारी
तो गमे बेहाल भी लिखती हूँ -
कभी मौत को मेहबूब
तो कभी ज़िन्दगी को सफर लिखती हूँ
वो जमाने गए कागज़ कलम दवात के
अब अश्कों से दिल के दीवारों पे लिखती हूँ ...
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