Wednesday, May 15, 2019

51 # बंट गए हैं ...

कभी जो रोटी बांटके खाते थे
अब उनके चूल्हे बंट गए हैं
तुम बात करते हो ज़मीनों-घर की
यहाँ तो खर्चों के नाम पे माँ-बाप बंट गए हैं -
जिस खुदा ने सबको रचा
उसके ही देखों अब भक्त बंट गए हैं
तुम बात करते हो इंसानों की
यहाँ तो धर्म के नाम पे भगवान बंट गए हैं -
जबसे ये दुनियाँ बनी है
कुछ न कुछ तो बंट ही रहा है
कभी बांटते थे जीवन के सुख -दुख
अब दुनियादारी के नाम पे जीवन में बंट गए हैं -

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