Monday, November 1, 2021

137# ये निगाहें

ये निगाहें हैं
जो टकराती है
ख्वाब दिखाती हैं
रोती है मुस्कुराती हैं
शरारत करती है
फिर भूल जाती हैं
पर जब निगाहों के इस खेल में
दिल शामिल हो जाता है
सब कुछ अपने में समेट के
जाने क्यों संजीदा हो जाता है
टूटता है बिखरता है
खुद भी तड़पता है
और हमें भी तड़पाता है... 💞

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