वो अजनबी था
फिर भी न जाने क्यों जाना पहचाना सा लगा
आँखे थी नम , कोई तो था गम
पूछा - तो हमें बातों में बहलाता सा लगा
हल्की सी मुस्कान लिए
हमने फिर चाँद को देखा -
उनके कहे अनकहे बातों से
हाले गम हमे आपना सा ही लगा
पूनम का चाँद पूरा था अस्मा पे
पर जानते हैं किसीके जुदाई में
उसे भी आज चाँद हमसा अधूरा ही लगा ...
फिर भी न जाने क्यों जाना पहचाना सा लगा
आँखे थी नम , कोई तो था गम
पूछा - तो हमें बातों में बहलाता सा लगा
हल्की सी मुस्कान लिए
हमने फिर चाँद को देखा -
उनके कहे अनकहे बातों से
हाले गम हमे आपना सा ही लगा
पूनम का चाँद पूरा था अस्मा पे
पर जानते हैं किसीके जुदाई में
उसे भी आज चाँद हमसा अधूरा ही लगा ...
No comments:
Post a Comment