Sunday, October 13, 2019

64 #

एक चिड़िया हु मैं
आसमान के ख़्वाब ही देखूंगी
चाहे पिंजरे में क्यों न रहू
कभी न कभी तो पर पसारूंगी
पर जहाँ भी उड़ जाऊ शाम ढले
आपने घर ही लौटूंगी

तब

आँखों में शिकायत नहीं ख़याल रखना
लबो पे सवाल नहीं मुस्कान रखना
कभी बाहों में भरना ,मेरा हालचाल पूछना
आपने लिए, दिल में मेरे
ख़ौफ नहीं प्यार इज़्ज़त बनाये रखना

मेरी गलतियां हो तो मुझे समझना
पर जो मैं सही रहू तो मुझे न झुकने देना
मैं समझूंगी तुमको
तुम भी मुझे समझना
बातचीत का एक दरवाज़ा सदा खुला रखना

जानती हूं डरते हो के गिर न जाऊ
मेरे दर्द का एहसास डराता है तुम्हें
गिरूँगी तभी तो संभालूंगी
थोड़ा यक़ीन थोड़ा भरोसा रखना
आपना आशीष सदा मेरे सरपे बनाये रखना ...

No comments:

Post a Comment