मां कसम भगवान कसम
जब सर्वोपरी था
वो दौर पुराना चाहती हूं
ठोकर पर गिरु भी
तो उठ कर
बेबाग मुस्कुराना चाहती हूं
फिर एक टॉफी में
सारे मामले
रफा दफा हो चाहती हूं
कट्टी बट्टी में ही
हर प्रॉब्लम का
फिर सलूशन चाहती हूं
मेरी बैटिंग पहली हो
वरना बैट लेकर घर जाने की
वो आज़ादी फिर चाहती हूं
मैं बचपन में नहीं
आपने बचपने में
लौट जाना चाहती हूं... 💞