Wednesday, February 6, 2019

41 # चलते चलते अब थक सी गई हूं ...

चलते चलते अब थक सी गई हूं
खुद से लड़ते लड़ते हाफ सी गई हूं

बस छल कपट झुठ
हर तरफ देख काँप सी गई हूं

कभी मुस्कान से तो कभी अश्क़ से
जिंदगी में सिर्फ छली सी गई हूं

कभी आरजू चुभे कंगकर से
कभी पलकों से छलक सी गई हूं

दिल की उंगली थामे
बहुत दूर निकल सी गई हूं

किस और है मंजिल क्या पता
चलते चलते कही खो सी गई हूं  ...